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July 15, 2025 12:14 am

16 साल बाद गिने जाएंगे हम भारत के लोग – संतोष दयाल

Guest editor

वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की घोषणा की थी तब से हर साल पूरी दुनिया में 11 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का प्राथमिक लक्ष्य वैश्विक जनसंख्या चुनौतियां आर्थिक एवं सामाजिक विकास पर्यावरणीय स्थिरता और मानवाधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ाना है। इसमें प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने ,परिवार नियोजन के लिए सहायता और सभी के लिए शिक्षा के प्रयास शामिल हैं। विश्व जनसंख्या दिवस 2025 का थीम है- “युवाओं को सशक्त बनाना ताकि वे एक निष्पक्ष और आशावादी दुनिया में अपनी पसंद के परिवार बना सके”। भारत सरकार की नीति का अहम हिस्सा है सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास सबका प्रयास इस विजन से प्रेरित होकर भारत ने सामाजिक सुरक्षा कवरेज के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के नए आंकड़ों के अनुसार भारत का सामाजिक सुरक्षा कवरेज वर्ष 2015 में 19% था जो बढ़कर 2025 में 64.3% हो गया है। पिछले एक दशक में 45% की वृद्धि दर्ज की गई है। सरकार की कल्याणकारी योजनाएं अधिकतम लोगों तक पहुंच रही है। आईएलओ के महानिदेशक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में निर्धन और श्रमिक वर्ग के लिए भारत की केंद्रित कल्याणकारी नीतियों की प्रशंसा की और कहा कि 94 करोड़ से ज्यादा लोग अब कम से कम एक सामाजिक सुरक्षा लाभ के अंतर्गत आते हैं। शुरू से ही पंक्ति में खड़े आखिरी व्यक्ति का उत्थान हमारा प्रेरणा रहा है। पिछले 11 वर्ष में हमारी हर नीति, हमारा हर निवेश और हर नवाचार इसी सोच पर आधारित रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोच में कार्यरत यह सोच चार स्तंभों पर आधारित है। पहला ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना जो देश को जोड़े। दूसरा ऐसा विकास जो सबको साथ लेकर चले। तीसरा मैन्युफैक्चरिंग जो लोगों को रोजगार दे। चौथा सरकारी कामकाज को इतना आसान बनाना की आम आदमी को ताकत मिले।विश्व की जनसंख्या का करीब पांचवा हिस्सा भारत में रहता है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति ने आगामी जनगणना में जातिवार जनगणना शामिल करने का निर्णय लिया । इस निर्णय से आर्थिक सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों का सशक्तिकरण होगा और समावेशन को बढ़ावा मिलेगा ।जनगणना 2021 दो चरणों में प्रस्तावित थी लेकिन वैश्विक महामारी कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण जनगणना का काम स्थगित करना पड़ा । जनगणना 2027 दो चरणों में होगी । लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बर्फवाले असमकालिक क्षेत्र की संदर्भ तिथि 1अक्टूबर 2026 होगी , देश के बाकी हिस्सों के लिए संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 होगी।

आजादी के छह दशक के बाद दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला भारत बीते 11 वर्ष की क्रांतिकारी सुधारो के कारण दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। आज भारत 4ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। भारत ने यह उपलब्धि जापान को पीछे छोड़कर हासिल की है।अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की यह रिपोर्ट बताती है कि बीते एक दशक में भारत दुनिया की एक मात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसने अपनी जीडीपी को दुगना किया है ।जीडीपी को दुगना करना केवल आंकड़े नहीं है बल्कि इसका सबसे बड़ा प्रभाव यह है कि 25 करोड लोग गरीबी से बाहर निकले हैं जिससे नया मध्यम वर्ग बना है यही नव मध्यम वर्ग अर्थव्यवस्था में योगदान देकर उसे जीवंत बना रहे हैं । दूरदर्शिता के साथ जीवन और अर्थव्यवस्था में समन्वय बिठाकर विकसित भारत 2047 का संकल्प लेकर अमृत काल की यात्रा की ओर राष्ट्र आगे बढ़ रहा है।

दुनिया की नजर भारत पर है और दुनिया की उम्मीदें भी भारत से है , आज पूरी दुनिया कह रही है कि यह भारत की सदी है । दुनिया अब एक तेज और निडर भारत देख रही है। भारत की उपलब्धि और सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। पिछले एक दशक में भारत 11वीं से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना तो हाल ही में आईएमएफ ने बताया कि जापान को पीछे छोड़ भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। अर्थव्यवस्था की लंबी छलांग और एक देश एक कर व्यवस्था-जीएसटी की 8वीं वर्षगांठ पूरा कर चुका है। साथ ही भारत अब तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। दरअसल आपदा में अवसर ढूंढना और चुनौतियों से जूझना भारत की खासियत रही है। यही वजह है कि भारत ने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से निपटने के लिए ऐसा ढांचा खड़ा किया कि देश इस लॉकडाउन में घरों में बंद हुआ पर ठहरा नहीं । हम ठान ले तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं है ,कोई राह मुश्किल नहीं है।आज तो चाह भी है राह भी है जिससे हमें भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। निश्चित तौर से भारत के पास साधन और सामर्थ्य ही नहीं बल्कि दुनिया का बेहतरीन टैलेंट है जो एक बार यह ठान ले कि हम कर सकते हैं तो उसे जरूर पूरा करते हैं। यही वजह है कि तमाम देश और रेटिंग एजेंसियां यह कहने को मजबूर है कि आने वाले समय में भारत दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगी।

केंद्र सरकार ने भारत को विनिर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से आत्मनिर्भर भारत के साथ-साथ मेक इन इंडिया पहल के तहत कई कार्यक्रम शुरू किए है। भारत एक ऐसा देश है जहां 50 फ़ीसदी आबादी 25 वर्ष से कम उम्र की है। यह ऐसा देश है जो युवा जोश और विचारों से भरा हुआ निरंतर बढ़ रहा है ।

आतंक के खिलाफ भारत अब सिर्फ सबूत नहीं सौंपता बल्कि वह सख्त जवाब भी देता है।ऐसा जवाब जिसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई देती है। पहलगाम में कायराना आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के रूप में इसे पूरी दुनिया ने देखा।जब देश का संकल्प इतना दृढ़ हो तो परिणाम सदैव अभूतपूर्व ही आता है। विकसित भारत के संकल्प के साथ अमृत यात्रा की ओर बढ़ रहे भारत के लिए इससे सुखद अनुभूति क्या हो सकती है कि भारत ने एक महत्वपूर्ण आर्थिक उपलब्धि हासिल कर दिखाया है। आज भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है।इनोवेशन और इनक्यूबेशन के रास्ते युवा सपनों की तकदीर बदलने में स्टार्टअप के साथ भारत अब इस मामले में दुनिया की तीसरी सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर है तथा आर्थिक सुधारो की इस सफर में महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित करते हुए भारत 2019 में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया तो 2025 में जापान को पीछे छोड़ चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में अपने कदम बढ़ाए।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘आर्डर ऑफ द मोस्ट इनिशएंट वेलीवितशिया मीराबिलिस’ से सम्मानित किया गया है ।इस सम्मान के साथ पीएम मोदी को विदेशों में अब तक कुल 27 बार अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड मिल चुके हैं ,जो किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री के लिए एक रिकॉर्ड माना जा रहा है। यह नामीबिया का सबसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान है जिसकी शुरुआत 1995 में की गई थी। इस सम्मान का नाम ‘वेलीवितशिया मीराबिलिस’ नामक एक प्राचीन रेगिस्तानी पौधे पर रखा गया है जो लंबी उम्र,लचीलापन और दृढ़ता का प्रतीक माना जाता है। यह भारत के लिए गौरव की बात है।

(यह लेखक के अपने विचार हैं।)

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