एजेंसियां। रिपोर्ट्स बता रही हैं कि भारत को रूसी एयर डिफेंस सिस्टम S-400 की डिलीवरी शुरू हो चुकी है। इसकी पहली यूनिट इस साल के आखिरी तक शुरू होने की उम्मीद है। भारत द्वारा रूस से S-400 खरीदने को लेकर भारत और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ गया है। लेकिन क्यों, आइए समझने की कोशिश करते हैं।
पहले S-400 को समझ लेते हैं
S-400 दुनिया के सबसे एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम में से माना जाता है। यह एक लंबी दूरी की सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम है। S-400 में ड्रोन, मिसाइल, रॉकेट और यहां तक कि लड़ाकू जेट सहित लगभग सभी तरह के हवाई हमलों से बचाने की क्षमता है। रिपोर्ट बताती है कि यह एक साथ 400 किलोमीटर दूरी तक 72 टारगेट को एक साथ तबाह कर सकती है।
भारत इस एयर डिफेंस सिस्टम को चीन और पाकिस्तान के लड़ाकू विमान के हमलों के काट के तौर पर देख रहा है। भारत को चिंता इस बात की है कि चीन ने मार्च 2014 में रूस से S-400 का आर्डर दिया था और 2018 में डिलीवरी शुरू हो गई थी। पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के दौरान, जो मई 2020 में शुरू हुआ और अनसुलझा रहा, चीन ने कथित तौर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास S-400 को तैनात किया था।
अमेरिका क्यों लगाएगा प्रतिबंध?
रूस से S-400 खरीद को लेकर अमेरिका खफा है। इसके कई कारण है। अमेरिका सालों से चाहता है कि भारत रूसी रक्षा प्रणालियों पर अपनी निर्भरता खत्म कर दे। पिछले कुछ सालों में भारत ने अमेरिका से रक्षा आयात बढ़ाया है। हालांकि इस सबके बावजूद रूस सबसे बड़ा हथियार सप्लाइर बना हुआ है।
लेकिन चिंता की बड़ी वजह अमेरिका द्वारा पारित 2017 के कानून काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (CAATSA) से है। इस कानून का मकसद ईरान, रूस और उत्तर कोरिया को सबक सिखाने से है। इसी कानून में रूसी रक्षा और खुफिया क्षेत्रों के साथ लेनदेन को लेकर लिस्टेड 12 प्रतिबंधों में से कम से कम 5 प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। अमेरिका ने लंबे समय से नाटो के सहयोगी रहे तुर्की पर दिसंबर 2020 में S-400 की खरीद को लेकर प्रतिबंध लगाए थे।
भारत ने दिया था करार जवाब
जनवरी 2021 में अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि अगर भारत S-400 की खरीद के साथ आगे बढ़ता है, तो भारत पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच एक ग्लोबल स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप है। भारत का रूस के साथ भी एक ख़ास स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप है। भारत ने हमेशा से एक स्वतंत्र विदेश नीति अपनाई है और यह हमारे डिफेंस सेक्टर से जुड़े मसलों में भी लागू होता है।
हाल ही में दो अमेरिकी सीनेटर ने कथित तौर पर राष्ट्रपति जो बाइडेन को चिट्ठी लिखा था जिसमें उन्होंने भारत को प्रतिबंधों से माफी देने की बात कही थी। अब जब S-400 की डिलीवरी शुरू हो चुकी है तो यह देखा जाना है कि अमेरिका क्या कार्रवाई करने को तैयार है, खासकर तब जब उसने चीन से मुकाबला करने को हिंद-प्रशांत को अपना मुख्य क्षेत्र बनाया है।