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November 14, 2024 10:23 pm

रक्षाबंधन पर ही खुलते हैं इस मंदिर के कपाट

अलग-अलग और अद्भुत संस्कृतियों वाले भारत में धार्मिक रीति-रिवाजों का भी विशेष महत्व है. देश अपने अंदर एक अनूठी धार्मिक दुनिया बसाए हुए है, जहां हर धर्म के रिवाजों और पूजा-पाठ के तरीकों का सच्ची निष्ठा और भाव के साथ पालन किया जाता है. भारत भले ही ऐतिहासिक स्थलों से समृद्ध हो, लेकिन यहां के धार्मिक स्थल भी एक अलग गाथा बयां करते हैं. यहां चर्चित से लेकर अनोखे रीति-रिवाज वाले कई धार्मिक स्थल मौजूद हैं. भारत में एक ऐसा अनोखा मंदिर है उत्तराखंड में स्थित है. इससे एक बेहद रोचक तथ्य जुड़ा हुआ है.

कहा जाता है कि इसके कपाट हर साल रक्षाबंधन पर ही खुलते हैं. इस जगह के निवासी मंदिर में दर्शन करने के लिए राखी के खास मौके पर जरूर आते हैं. हम आपको बताने जा रहे हैं कि ये मंदिर उत्तराखंड में कहां मौजूद है. साथ ही इससे जुड़े हुए कुछ रोचक तथ्य भी आपको बताएंगे. त्योहारी सीजन में रक्षाबंधन के मौके पर आपको ऐसे मंदिर के बारे जरूर जानना चाहिए. जानें

कहां मौजूद है ये अनोखा मंदिर

इस मंदिर का नाम बंशीनारायण/वंशीनारायण मंदिर है और ये उत्तराखंड के चमोली जिले की उर्गम घाटी में मौजूद है. इस मंदिर तक पहुंचने का अनुभव बेहद खास है, क्योंकि यहां लोग ट्रेकिंग करके पहुंचते हैं. ये मंदिर इसलिए भी खास है, क्योंकि इसका धार्मिक महत्व तो है, साथ ही इसका टूरिज्म से भी गहरा संबंध है. मंदिर की लोकेशनउर्गम घाटीको यहां बुगयाल भी पुकारा जाता है और ये घनी वादियों से घिरी हुई है.

रक्षाबंधन पर ही खुलते हैं कपाट

कहा जाता है कि इस मंदिर के कपाट साल में एक बार रक्षाबंधन पर ही खुलते हैं. रीति-रिवाजों के तहत यहां की महिलाएं और लड़कियां अपने भाईयों को राखी बांधने से पहले भगवान की पूजा करती हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि यहां भगवान श्री कृष्ण और कल्याणकारी शिव की प्रतिमा मौजूद हैं. इस मंदिर से पौराणिक कथा जुड़ी हुई. कहा जाता है किविष्णु अपने वामन अवतार से मुक्ति के बाद सबसे पहले इसी स्थान पर प्रकट हुए थे. इसके बाद से देव ऋषि नारद भगवान नारायण की यहां पर पूजा करते हैं. इसी वजह से यहां पर भूलोक के मनुष्यों को सिर्फ एक दिन के लिए पूजा का अधिकार मिला है.

वंशीनारायण मंदिर

मंदिर से जुड़ी दूसरी रोचक बातें

– इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा मौजूद है और इस मंदिर की अंदर से ऊंचाई महत 10 फुट है. इसके पुजारी राजपूत हैं, जो हर साल रक्षाबंधन पर विशेष पूजा का आयोजन करते हैं.

– इस मंदिर के पास एक भालू गुफा मौजूद है, जहां भक्त प्रसाद बनाते हैं. कहा जाता है कि हर घर से मक्खन आता है और इस मक्खन को प्रसाद में मिलाकर भगवान को परोसा जाता है.

– आप यहां पहुंचना चाहते हैं, तो पहले उत्तराखंड के चमोली जिले में पहुंचे और फिर यहांउर्गम घाटीपहुंच जाए. इसके बाद आपको करीब 12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा और फिर रास्ते में मंदिर नजर आएगा.

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