लावालौंग। प्रतिनिधि
प्रखंड क्षेत्र में वन कर्मियों एवं पदाधिकारियों की चांदी ही चांदी हो रही है। यहां प्रत्येक वर्ष सरकार के द्वारा विभाग को करोड़ों रुपए का फंड मुहैया कराया जाता है। परंतु कुछ प्रखंड एवं जिले के कर्मियों एवं पदाधिकारियों के द्वारा बड़ी राशियों की योजनाओं में चंद राशि खर्च करके बड़ी राशि का बंदरबांट करके गबन कर लिया जाता है। इसका जीता जागता एवं ताजा प्रमाण है मंधनियां गांव के अरवापानी के समीप जंगल में निर्माण करवाया जा रहा चेकडैम नाम ना छापने की शर्त पर एक वनकर्मी नें ही जानकारी देते हुए बताया कि जंगल क्षेत्र में निर्माण कराए जाने वाले कच्चा चेकडैम में पत्थरों से पिचिंग का कार्य करना होता है। पिचिंग का कार्य खाद्यान्न से पत्थरों को मंगवाकर किया जाना है। परंतु मंधनियां गांव के अरवापानी के समीप वन विभाग के द्वारा निर्माण कराए जा रहे चेकडैम में भारी मात्रा में जंगल में जमे पत्थरों को जमीन से कबाड़ कर पिचिंग का कार्य किया जा रहा है। कहा जाए तो जहां वन विभाग के द्वारा वन संपदाओं को संतुलित रखने के लिए बड़े-बड़े नियम कानून बनाए गए हैं, वहीं इसके कर्मी और पदाधिकारी लोभ में पड़कर खुद अपने ही घर में सेंधमारी करने की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। उक्त चेकडैम का निर्माण कार्य वनरक्षी सिकंदर कुमार के द्वारा करवाया जा रहा है। मौके पर उनसे पूछे जाने पर गोल मटोल जवाब देत हुए उन्होंने साफ इंकार कर दिया और कहा कि चेकडैम पत्थर का कार्य करना ही नहीं है हम डैम कि मजबूती के लिए खुद से पत्थर लगवा दे रहे हैं। यह कार्य मैं खुद से नहीं करवा रहा हूं बल्कि रेंजर साहब के निर्देश पर करवा रहा हूं। वहीं रेंजर सुरेश चौधरी से यह पूछे जाने पर कि योजना कि प्राक्कलित राशि कितनी है। उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि अभी मुझे याद नहीं है देखना पड़ेगा। देखकर बताने की बात पर भी पल्ला झाड़ते हुए रेंजर नें कहा कि अभी हजारीबाग हॉस्पिटल में हूं बाद में बताऊंगा। हालांकि उन्होंने भी पत्थर से पिचिंग करने की बात को स्वीकारा है। इसके पूर्व भी निर्माण कराए गए दर्जनों चेकडैमों एवं अन्य योजनाओं में भी संपदा को ही नष्ट करके भारी घपले का कार्य किया जा चुका है। जहां सेंचुरी और वन्यप्राणी श्रेणी का हवाला देकर करोड़ों की योजनाओं का बंदरबांट किया जा रहा है। वहीं दूर-दूर तक वन क्षेत्र में गिने-चुने सियार के अलावा अन्य किसी भी जानवर का नामोनिशान तक नहीं है। ऐसे में विभाग के कर्मियों एवं पदाधिकारियों की चांदी ही चांदी है। गुप्त सूत्रों के अनुसार अफीम मामले में मोटी रकम लेने के एवज में सिकंदर कुमार एवं दुर्गा महतो को सस्पेंड कर दिया गया था। इसके बावजूद भी वे क्षेत्र में जमे रहकर बड़े रकम की उगाही एवं योजनाओं में घपले का कार्य खुलकर कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार पूर्व भी मंधनियां पंचायत के कटेलीमहुआ से अफीम मामले में 75 हजार रुपये की वसूली सिकंदर नें की है। आलम यह है कि अभी भी प्रखंड क्षेत्र के कई गांव में सैकड़ों एकड़ वन भूमि पर अफ़ीम की फसल लहलहाते देखा जा सकता है।