मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सोमवार को सुप्रीम राहत मिली। दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने शिवशंकर शर्मा द्वारा अवैध खनन पट्टा लीज और शेल कंपनी मामले की सीबीआई और ईडी जांच की मांग से संबंधित दाखिल जनहित याचिका को सुनवाई योग्य नहीं माना। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए टिप्पणी की याचिका राजनीति से प्रेरित लगती है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोगों के मन में ये सवाल घूम रहा है कि क्या मुख्यमंत्री के खिलाफ जारी हालिया ईडी की कार्रवाई रूक जाएगी। क्या हेमंत सोरेन की मुश्किलें खत्म हो गई हैं? दरअसल, इससे पहले झारखंड हाईकोर्ट ने जनहित याचिका को सुनवाई योग्य माना था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में हाईकोर्ट के फैसले को भी निरस्त किया है।
जनहित याचिकाओं पर नहीं होगी कोई सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब झारखंड हाईकोर्ट में इन याचिकाओं पर सुनवाई नहीं होगी। हाईकोर्ट ने दोनों मामलों पर सुनवाई करते हुए सभी पक्षों से जवाब देने को कहा था। अब सवाल है कि क्या सीएम के खिलाफ हालिया ईडी की जांच थम जाएगी। बता दें कि ऐसा नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी अवैध खनन और मनी लाउंड्रिंग की ईडी जांच पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दरअसल, कोर्ट ने ईडी की हालिया जांच अथवा कार्रवाई पर कोई टिप्पणी नहीं की है। कोर्ट ने केवल पीआईएल को सुनवाई योग्य नहीं माना है। दरअसल, पीआईएल में मुख्यमंत्री द्वारा अनगड़ा में लिए गए खनन पट्टा लीज तथा शेल कंपनी मामले की सीबीआई तथा ईडी जांच की मांग की गई थी। कोर्ट ने इसे निरस्त कर दिया। वही, अवैध खनन और मनी लाउंड्रिंग केस राज्य की निलंबित खान सचिव पूजा सिंघल, मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा, प्रेम प्रकाश उर्फ पीपी तथा बच्चू यादव की गिरफ्तारियों से जुड़ा है। इसमें ईडी को कई ऐसी जानकारियां मिली हैं जो सीएम से जुड़ी हैं और संदिग्ध हैं। उस मामले में ईडी ने सीएम हेमंत सोरेन को समन किया है।