इस समय पूरे देश के दिल में तिरंगा ट्रेंड कर रहा है. सम्भव है कि आपने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट की Display Picture में तिरंगे की तस्वीर लगा ली होगी. लेकिन क्या केवल इतना भर कर लेने से आपका राष्ट्रवाद पूरा हो जाता है? राष्ट्रवाद का कोई Menu Card नहीं होता और राष्ट्रवाद की कोई लिस्ट नहीं होती, जिसे पूरा करके आप राष्ट्रीयता की भावना को साबित कर सके. इसलिए आज हम आपको असली राष्ट्रवाद का मतलब समझाएंगे और आपको ये भी बताएंगे कि तिरंगे (Tiranga) का सम्मान तभी होगा, जब ये सभी 140 करोड़ भारतीयों के दिल की Display Picture में शान से लहराएगा.
13 से 15 अगस्त तक तिरंगा फहराने की अपील
ये वही तिरंगा है, जिसे हाथों में थामकर भारतवासी दुनिया के सबसे शक्तिशाली अंग्रेजी साम्राज्य से भिड़ गए थे. न जाने कितनों ने अपनी ज़िंदगी का बलिदान कर दिया, लेकिन उन्होने तिरंगे के सम्मान पर कोई आंच नहीं आने दी. आज हम उन अनगिनत लोगों के त्याग, तपस्या और देश के प्रति उनके प्रेम की वजह से ही आजाद हैं. हर घर तिरंगा अभियान हमें उन्ही महापुरुषों को याद करने का अवसर प्रदान करता है. प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने भी गुरुवार को लोगों से 13 अगस्त से 15 अगस्त तक अपने अपने घरों में तिरंगा फहराने की फिर से अपील की. तिरंगा सिर्फ भारत का राष्ट्र ध्वज भर नहीं है, ये हर भारतवासी की चेतना है. राष्ट्र के प्रति अपने प्रेम, अपनी भक्ति और अपने समर्पण को दिखाने का एक जरिया है. लेकिन आज हमारे तिरंगे (Tiranga) पर भी सियासत जारी है. कुछ राजनीतिक दल अब तिरंगे पर भी तेरा मेरा की राजनीति कर रहे हैं.
राष्ट्रप्रेम को दर्शाने का तरीका है तिरंगा
लेकिन एक आम हिंदुस्तानी इस राजनीति से बेफिक्र है. उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि तिरंगे (Tiranga) को सबसे पहले किसने फहराया था और वो किस पार्टी या परिवार से थे. आज भारतवासी अपने घरों पर राष्ट्रध्वज फहराने को लेकर उत्साहित हैं. उनके लिए राष्ट्रध्वज राजनीति का नहीं देश के प्रति अपने समर्पण और प्रेम को दर्शाने का ही एक तरीका है.
देश में बढ़ गई है तिरंगे की बिक्री
हम आप को ये जानकारी भी देना चाहते हैं कि हर घर तिरंगा अभियान के ऐलान के साथ ही पूरे देश में अचानक तिरंगे (Tiranga) की बिक्री कई गुना बढ़ गई है. तिरंगा बनाने वालों के अनुसार मांग इतनी ज्यादा है, कि कच्चे माल तक की कमी होने लगी है. यानी ये अभियान सिर्फ़ देशभक्ति का प्रदर्शन ही नहीं, झंडा बनाने के काम से जुड़े लोगों के लिए भी बड़ा अवसर बनकर सामने आया है और इसने रोजगार के मौके भी मुहैया करवाए हैं. आज ये अभियान तिरंगे के प्रति भारतीयों के भावनात्मक लगाव का सबसे बड़ा उदाहरण है.