कृष्णा पाठक
गौतम गंभीर होना मुश्किल है क्योंकि, सच और खरा बोलना मुश्किल है। गौतम गंभीर होना मुश्किल है क्योंकि सही को सही और गलत को गलत कहने के लिए हिम्मत लगती है। गौतम गंभीर होना मुश्किल है क्योंकि डिप्लोमेटिक हुए बिना तथ्य को तथ्य की तरह कहना मुश्किल है। मुंशी प्रेमचंद की कहानी पढ़ी होगी पंच परमेश्वर। इसमें एक संवाद है कि क्या बिगाड़ के डर से ईमान की बात ना करोगे। अगर ये बात समझ न आई हो तो गौतम गंभीर को सुनो। बिना किसी पूर्वाग्रह के समझो, गंभीर ने हमेशा बिगाड़ की चिंता किए बगैर ईमान की बात की है। सच बुरा लगता है इसलिए, गंभीर हमेशा आलोचना का शिकार हो जाते हैं. दरअसल, लोगों को अच्छा सुनना पसंद है, सच नहीं और शायद गंभीर यहीं मात खा जाते हैं। आईपीएल 2024 के मैच में सीएसके की जीत के बाद एक बेहद प्यारी तस्वीर दिखी। केकेआर के मेंटर गंभीर, सीएसके के पूर्व कप्तान धोनी से मैदान पर बेहद गर्मजोशी से मिले। दोनों के चेहरे पर तब नैसर्गिक मुस्कान थी और आंखों में म्यूचुअल रिस्पेक्ट। मैच से पहले गंभीर ने एक इंटरव्यू में धोनी की तारीफ भी की। उनकी रणनीति और क्षमता को सराहा। क्रिकेट प्रेजेंटर जतिन सप्रू को दिए एक इंटरव्यू में धोनी के साथ रिश्तों पर गंभीर ने कहा था कि लोग सोशल मीडिया में क्या लिखते हैं, मुझे उससे फर्क नहीं पड़ता। जिस दिन भी धोनी को जरूरत होगी मैं पहला आदमी होऊंगा जो उसके साथ खड़ा होगा। गंभीर ने तब कहा था कि मैंने अपने कैरियर के बेस्ट मोमेंट धोनी के साथ ही साझा किए हैं चाहे वो पहला टी20 वर्ल्ड कप जीतना हो या 28 साल बाद वनडे वर्ल्ड कप जीतने के लिए की गई पार्टनरशिप। गंभीर को अक्सर वर्ल्ड कप जीत में क्रेडिट को लेकर दिए गए उनके बयान की वजह से ट्रोल किया जाता है। गंभीर कहते रहे हैं कि एक छक्के ने हमे वर्ल्ड कप नहीं जिताया बल्कि ये एक टीम एफर्ट था। सोचकर देखिए कि गंभीर क्या गलत कहते हैं? ध्यान दीजिए कि गंभीर ने कभी धोनी को क्रेडिट खोर नहीं कहा है बल्कि, उनकी शिकायत मीडिया और ब्रॉडकास्टर्स से है जो केवल धोनी के छक्के को दिखाते हैं। हां! कई मौकों पर गंभीर ने धोनी की आलोचना भी की है। उनमें से एक है रोटेशन पॉलिसी। दरअसल, एक समय वनडे क्रिकेट में धोनी ने पॉलिसी बनाई थी कि वे अंतिम ग्यारह में एक साथ गंभीर, सहवाग और तेंदुलकर को नहीं रखेंगे। इसके अलावा गंभीर, धोनी के मैच को अंतिम तक ले जाने की रणनीति की आलोचना करते रहे हैं। इसकी वजह से उन्हें धोनी का दुश्मन मान लिए गया। ईर्ष्यालु कहा गया. लेकिन, क्या एक दोस्त दूसरे दोस्त की आलोचना नहीं कर सकता? दोस्त होने के लिए क्या सामने वाले के हर फैसले में सहमत होना जरूरी है। धोनी विश्व क्रिकेट के सबसे सफलतम कप्तान हैं लेकिन, क्या वे मूल्यांकन से परे हैं? गंभीर ने सही को सही कहने की हिम्मत दिखाई और वह यही बताता है कि वे कितने अच्छे इंसान हैं। मैंने पहले ही कहा, गंभीर होना मुश्किल है क्योंकि, सच कहना कठिन है।