एजेंसियां
अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाली अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ बिहार और झारखंड की अदालतों में भी मामला पहुंच गया है। झारखंड में धनबाद की अदालत में कंगना के खिलाफ याचिका दायर करते हुए उन पर देशद्रोह का केस दर्ज करने की मांग की गई है। अदालत गुरुवार को मामले की सुनवाई करेगा। वहीं बिहार में सहरसा की अदालत में मामला पहुंचा है।
धनबाद के पांडरपाला निवासी इजहार अहमद उर्फ बिहारी ने कंगना रनौत पर राजद्रोह और देश को नीचा दिखाने का आरोप लगाते हुए मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में मामला दायर किया है। इजहार ने अदालत से धनबाद थाने को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश जारी करने का निवेदन किया है।
अदालत में दर्ज कराई गई याचिका में इजहार ने कहा है कि कंगना ने आजादी को लेकर जो बयान दिया है वह बेहद आपत्तिजनक है। कंगना ने अपने बयान में कहा था कि 1947 में जो देश को आजादी भीख में मिली थी। असली आजादी 2014 में मिली, जब मोदी जी की सरकार बनी।
इजहार ने आरोप लगाया कि ऐसा कंगना ने देश को बदनाम किया है। दूसरे देशों में भारत का मजाक उड़ाया है और उसे नीचा दिखाया है। भारत की आजादी में कितनी माताओं ने अपने पुत्रों को खोया, कितनों ने बलिदान दिया है। सुखदेव राजगुरु, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई ने भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहूति दी।
उन्होंने कहा कि 13 नवंबर को धनबाद थाने में कंगना के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की प्रार्थना की लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की गई। उन्होंने इसकी शिकायत एसएसपी धनबाद से की। वहां से भी अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई। इजहार ने अदालत से निवेदन किया है कि अदालत धनबाद थाने को कंगना रनौत के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दे। अदालत में गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई होगी।
सहरसा में पूर्व विधायक कोर्ट पहुंचे
उधर, बिहार के सहरसा में भी कंगना के खिलाफ अदालत में केस के लिए याचिका लगाई गई है। पूर्व विधायक किशोर कुमार ने यह मामला अपने वकील के माध्यम से दायर किया है। बुधवार को पूर्व विधायक सीजेएम के न्यायालय में उपस्थित हुए।
पूर्व विधायक ने बताया कि इस देश को महात्मा गांधी, चंद्रशेखर झा आजाद, भगत सिंह, सरदार वल्लभ भाई पटेल, अशफाकउल्लाह खां, वीर सावरकार सहित अन्य ने देश को आजादी दिलायी। देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। नौ नवंबर को कंगना रनौत ने एक न्यूज चैनल पर बयान दिया कि भारत को 2014 में वास्तविक आजादी मिली है। 1947 में मिली आजादी भीख में मिली। यदि 1947 में देश को आजादी मिली तो कोई युद्ध क्यों नहीं हुआ।
कहा कि इस प्रकार का बयान देश की आजादी के लिए अपना बलिदान देने वालों का अपमान है। यह देश की संप्रभुता, अखंडता, गौरवशाली इतिहास की छवि को धूमिल करने जैसा है। भारत की आजादी में कोसी क्षेत्र के हजारों लोगों ने अपना योगदान दिया।
इस मामले में जिला विधिवेत्ता संघ के अध्यक्ष अधिवक्ता सुदेश कुमार सिंह, सचिव अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह, अधिवक्ता रवींद्र सिंह, संजय कुमार व विनोद सिंह ने बहस किया। सीजेएम ने मामले को राजेश कुमार के न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया। इस मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी।