कृष्णा पाठक
बंदारू जल प्रपात (खैवा) लावालौंग प्रखंड मुख्यालय से दस किमी दुर उत्तर-पूर्व कंपनीयां पंचायत में स्थित है। कहा जाए तो यहां प्रकृती ने अपनी छटा खुब बिखेरी है। कई स्थानों पर प्रकृती ने पत्थरों को तराश कर छज्जानुमा आकार गढ़ा है, तो कई जगहों पर पूरातात्वीक कलाकृतियां शोभायमान हो रहीं हैं। पत्थरों को देखकर तो ऐसा लगता है, मानों जल के बहाव के आगे मोम बनकर रह गए हों। पत्थरों के यह खूबसूरत कटाव नदी की पतली धारा के साथ साथ लगभग एक किलोमीटर तक देखे जा सकते हैं।

यहां के दह में एक पत्थर फेंक दिया जाए तो काफी सूरिली प्रतिध्वनी सुनाई पड़ती है, जो सैलानीयों को बरबस अपनी ओर खिचतीं हैं। कहीं पंख फड़फड़ाते कबुतरों के झुंड, तो कहीं कलकल निनाद करते फेन उगलते झरने सैलानीयों को यहां आने का मौन निमंत्रण देते हैं। यह जाने के लिए कोई भी सुगम रास्ता मौजूद नहीं है, फिर भी यहां वाहन द्वारा जाया जा सकता है। स्थानीय जनप्रतिनिधि मिथिलेश कुमार चौबे का कहना है की अगर सरकार यहां पिकनिक स्पॉट के साथ-साथ टूरिज्म के लिए भी विकसित करे, तो यह क्षेत्र काफी अच्छा टूरिस्ट प्लेस बन सकता है। कुछ वर्षों पूर्व तक यहां लोग माओवादियों के भय से नहीं आते थे, परंतु अब यह धारणा बदलने लगी है और अब यहां की रौनक लौट आई है।