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सरकारी अस्पताल की जगह महिला का प्रसव कराने मुन्ना भाई के पास लेकर पहुंची सहिया

लावालौंग। प्रतिनिधि

गर्भवती महिलाओं को बेहतर चिकित्सकीय सेवा उपलब्ध कराने के लिए संहियाओं को तैनात किया गया है। ताकि सुरक्षित व संस्थागत प्रसव कराए जा सके। लेकिन कुछ सहिया ऐसी है जो न सिर्फ विभाग की छवि को खराब कर रही है बल्कि जच्चा-बच्चा के जीवन से भी खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रही है। ताजा मामला लावालौंग थाना क्षेत्र में सामने आया है। जहां सहिया सरिता देवी बांदू गांव कि एक गर्भवती महिला सुदामा देवी को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव कराने के नाम पर लावालौंग लेकर पहुंची। लेकिन अस्पताल में किसी भी कर्मी के नहीं रहने के कारण पास के बिना लाइसेंस के चल रहे मुन्ना कुमार के क्लीनिक में लेकर पहुंच गई। जहां सुदामा का प्रसव समय से पूर्व आठवें महीने में ही करवाया गया। जिसके कारण काफी कमजोर बच्चे का जन्म हुआ और उसे बेहतर इलाज के लिए हजारीबाग ले जाया गया। जहां बच्चे की हालत काफी नाजुक बनी हुई है। इस बीच सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बच्चे की मां सुदामा देवी को क्लीनिक के संचालक मुन्ना कुमार का यह कह कर रोक लिया कि जब तक मेरा पूरा पेमेंट नहीं हो जाता है तब तक मैं बच्चे की मां को अपने क्लीनिक से नहीं जाने दूंगा। हालांकि बाद में पुलिस में मामला दर्ज करने की बात पर मुन्ना ने बच्चे की मां को अपने क्लीनिक से डिस्चार्ज कर दिया दिया। इस बाबत सहीया सरिता देवी से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि होली का दिन होने के कारण लावालौंग अस्पताल में कोई भी नहीं था। और यहां से सिमरिया रेफरल अस्पताल भी काफी दूर है। जिसके कारण मैं गर्भवती महिला को मुन्ना कुमार के पास लेकर गई। वहीं पूछे जाने पर मुन्ना कुमार ने मीडिया कर्मियों के साथ अभद्रता करते हुए कहा कि मैं किसी को अपने क्लीनिक में नहीं बुलाता हूं। ऐसे में अगर मरीज को सहीया मेरे पास लेकर आई है तो इसका जवाब सहीया देगी। और रही बात मरीज को छोड़ने की तो जब तक मेरा पूरा पेमेंट नहीं हो जाता मैं मरीज को नहीं छोड़ने वाला हूं। इस बाबत चिकित्सा प्रभारी डॉ० अशोक से पूछे जाने पर उन्होंने कहा की होली को ध्यान में रखते हुए लावालौंग अस्पताल में दो चिकित्सकों के अलावा कई स्वास्थ्यकर्मीयों की 24 घंटे ड्यूटी की गई थी। लेकिन अस्पताल के बंद होने और प्राइवेट क्लीनिक में प्रसव होने की जानकारी फिलहाल मूझे नहीं है। मैं जांचोपरांत ही कुछ बता पाऊंगा। अब सोचने वाली बात यह है कि अगर इस तरह के गोरख धंधे में सहिया अथवा स्वास्थ्य कर्मियों की भी संलिप्त पाई जाएगी तो फिर लोग किस पर विश्वास करें?

पूर्व में भी मुन्ना पर लग चूके हैं गंभीर आरोप जा चूका है जेल

निजी क्लीनिक संचालक मुन्ना कुमार पर पूर्व में भी कई गंभीर आरोप लगा चुके हैं। जिसमें बिना किसी सुरक्षा मानक के रक्त चढ़ाना, गलत तरीके से इलाज कारण मरीज की मृत्यु होना या फिर एक नाबालिक युवती का प्रसव करवा कर उसके बच्चे की तस्करी कर देना जैसे कई घृणित कार्य शामिल हैं। जानकारी के अनुसार इस प्रकार के कई मामलों में मुन्ना पुर्व में जेल भी जा चुका है। और जेल से छूटते ही मुन्ना अपने पुराने गोरख धंधे में संलिप्त हो गया है।

होली के दिन अस्पताल का बंद होना खड़ा करता है कई सवाल

होली जैसे त्योहार पर भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का बंद होना अपने आप में कई सवाल खड़ा करता है। होली जैसे त्यौहार में मोटरसाइकिलों पर लोग अधिक आवाजाही करते हैं। ऐसे में अगर कहीं पर कोई भीषण दुर्घटना हो जाती तो अस्पताल बंद रहने के कारण लोगों के जान पर भी बन सकती थी। हालांकि चिकित्सा प्रभारी के द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार अस्पताल में दो चिकित्सक और कई चिकित्साकर्मीयों की ड्यूटी लगाई गई थी लेकिन सभी अपने मनमाने तरीके से अपने घरों पर आराम फरमा रहे थे। ऐसे में इस तरह के हुई घटना की जिम्मेदारी कौन लेगा यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है?

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