चतरा/ लावालौंग
प्रखंड क्षेत्र में महुआ के मौसम में महुआ चुनने के क्रम में जंगलों में आग लगा दिए जाने की घटनाएं लगातार जारी हैं। गर्मी की तपिश बढ़ने के साथ प्रखंड के जंगलों में आग की लपटें भी तेज हो रही है। जंगलों से आच्छादित लावालौंग प्रखंड के हरेक क्षेत्र में आग की लपटें देखी जा सकती है। दरअसल महुआ चुनने की कवायत शुरु होने के साथ ही जंगलों में आग लगा दी जाती है। जिसपर वन विभाग का कहना है कि ग्रामीणों को जागरुक करने की जरुरत है और सभी क्षेत्रों में महुआ के पेड़ों को संख्याबद्ध किया जायेगा तभी जंगल में आग लगने की घटना पर लगाम लग सकेगा।
गर्मी का मौसम आते ही महुआ के फूल को प्राप्त करने के लिए क्षेत्र के जंगलों में आग लगा दी जाती है। लोगों का कहना है पतझड़ के बाद जंगल में काफी सूखे पत्ते पड़े रहते हैं इससे महुआ के फूल को चुनने में परेशानी होती है। लगभग पूरे प्रखंड क्षेत्र में जंगल है। जिसमें अप्रैल एवं मई महीनों में हर वर्ष जंगलों में भीषण आग की लपटें दिखती है। यह सिलसिला वर्षों से बदस्तूर जारी है। हालांकि पुछे जाने पर वन विभाग के अधिकारी हमेशा सवालों से बचने कि कोशिश में रहते हैं। लेकिन सच्चाई है कि जंगलों में आग लगने से पेड़-पौधे तो नष्ट होते ही हैं इसके साथ-साथ वन्य जीवों पर भी असर पड़ता है। जिसके बावजूद वन विभाग वर्षों से दावा करती आ रही है कि ग्रामीणों को जागरुक किया जायेगा।