बिहार में पंचायत चुनाव की तैयारियां जोरों पर है। चुनाव आयोग की ओर से जारी अधिसूचना के बाद से राज्य में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसको लेकर निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधि और संभावित उम्मीदवारों ने चुनाव में अपना सिक्का जमाने का प्रयास शुरू कर दिया है। वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में खडे़ होने वाले भावी उम्मीदवारों के लिए निर्वाचन क्षेत्र सीमा तय करते हुए इससे जुडी गाइडलाइन्स भी जारी कर दी है। आयोग के गाइडलाइन में सभी छह पदो के लिए एक सीमा निर्धारित की गई है। जिसका पालन करते हुए ही अभ्यर्थी चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक मुखिया पद के उम्मीदवार अपने प्रखंड के किसी भी पंचायत से चुनाव लडने को स्वतंत्र होंगे। लेकिन इसके लिए पहली शर्त यह होगी कि ऐसे मुखिया प्रत्याशी का नाम उस निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता सूची में होना चाहिये। मुखिया के साथ ही सरपंच व पंचायत समिति के लिए भी यही शर्त लागू रहेंगे। अगर मतदाता सूची में संबंधित प्रत्याशी का नाम नहीं है तो वे अपना नामांकन पर्चा दाखिल नहीं कर सकेंगे।
जानिए, क्या हैं चुनाव आयोग की शर्तें:
पंचायत चुनाव में किसी भी पद के प्रत्याशी के लिए चुनाव मैदान में किस्मत आजमाने के लिए गाइडलाइन्स जारी की है। इसमें कई शर्तें रखी गई हैं। बिना इन शर्तों का पालन किए कोई भी चुनाव नहीं लड़ पाएगा। आइए जानते हैं क्या है शर्तें :
– संबंधित निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में उसका नाम दर्ज होना जरूरी है।
– मतदाता सूची में नाम दर्ज होने पर अभ्यर्थी ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम कचहरी के पंच अपने किसी भी वार्ड से प्रत्याशी बन सकते हैं।
– इन पदो के अलावा जिला परिषद सदस्य के प्रत्याशी अपने जिले के किसी भी निर्वाचान क्षेत्र से अपना नामांकन पर्चा दाखिल कर सकते हैं।
– आयोग ने स्पष्ट किया है कि पंचायत समिति सदस्य, मुखिया व सरपंच बिना मतदाता सूची में नाम रहे उम्मीदवार बनते हैं और चुनाव जीत जाते हैं तो उनका निर्वाचन सुप्रिम कोर्ट द्वारा एसएलपी सुरेंद्र कुमार बनाम बिहार सरकार एवं अन्य पारित आदेश के अनुसार ही मान्य माना जायेगा।